परमेस्वर को नहीं जानना ही अधर्म है !
परमेस्वर को नहीं जानना ही अधर्म है ! मुर्ख और पागल परमेस्वर का अस्तित्वा को नहीं मानते! परमेस्वर इंसान बनाया और इंसान कई इस्वर को अपने प्रकृति के अनुसार ईस्वरों का निर्माण करके ढेर सारा पाप कमा चूका है ! अभिलासा पाप को जनम देता ,पाप हमारे मृत्यु के कारण बनता है! पाप क्या है? चोरी करना,हत्या करना,हिंसा करना, घृणा करना ,लालच करना, धोका देना ,ब्यभिचार करना , परस्त्री को गलत नज़र से देखना , झूट बोलना या गढ़ना और परमेस्वर को अपने कामो से दुःख पोहोंच!ना और अनेक पाप है जो हम हर दिन करते है फिर भी आप अपने आपको धर्मी मानते है ! क्या परमेस्वर आपको धर्मी मानते है ? सरल दर्शन की बात यह है की आप जिस ब्यबहार दूसरे लोग से नहीं चाहते है वह खुद करते हैं,वही पाप है ! जब साधु के भेस में कोई इंसान को देखते है तो आप उसको एक धार्मिक ब्यक्ति मानते लेकिन उसका काला स्वाभाव आप को नहीं दीखता! क्यों की आप इंसान है आप का देखने का नजरिया ऐसा ही रहेगा, ! हमारे देश में बहुत धर्म गुरु है लेकिन इस्वर का दर्शन करा नहीं सकता क्यों की उसने इस्वर को देखा ही नहीं ,यहमेरा दबा है ! बे सब आप को कर्म कांड से बाँध कर धन कामना जानते है ! तंत्र मंत्र सीधी एक सैतानी स1धना है ,इस्वर बेहेरा नहीं जो एक लाख बार आवाज देने से सुनेगा ! सीधी कर के आप इस्वर को बस में करलेंगे यह मूर्खता है ,आप इस्वर से काम करा लेंगे यह सब से बड़ा भूल है ,जिन,भूतऔर सैतानी सकती बस में कर सकते है क्यों की बे दूस्ट सकती आप जैसा सरीर में रहना चाहते वह कोई देवी देवता का रूप में आ सक्ती.! इस का बाजार आज धूम धाम से चल रहा है ,भोले और पढ़े लोग पैसा खर्चा करके मुर्ख बन रहें है ! अगर सकती होता बंदी गृह में पड़े बाबा जेल से छूट जाते ! अगर हमारे देश में सकती होता तो हम हज़ार साल तक गुलाम नहीं होते !
इस्वर खेल का बिसय नहीं,भय,भक्ति,नम्रता का बिसय है ! नदी,साप , पेड़ पौधा, ह1ती,सेर इन सब को पूजा करने वाले इस्वर को बेइज्जती करते हैं,जैसे आप का पुत्र आप को सुआर कह कर बुलाएगा तो कैसा लगेगा ? जो इस्वर नहीं है उसको आप पूजा करते हैं ! इसलिए आप परमेस्वर का अनुभव नहीं करते हैं ! वही अनैतिक कथा प्रोबोचन के माध्यम सुनकर आप का आध्यात्मिक उन्नति नहीं हो प्1 रहा है ! एक सकती जिसको आप भगव1न मानते है उसका पत्नी अपहरण हो जाता है ,वह ढूंढ नहीं प1ता जानवर की सेना से पत्नी को छुड़ाता है , इस नैतिकता से क्या सीखेंगे ! ऐस प्रसंग , सस्त्र से भरा है !
में ज्यादा बोलना नहीं चाहता हूँ , में आप को इस्वर का अनुभब करना चाहता हूँ लेकिन आप श्री श्री श्री जितना भी गुरु है उन सब के पास जा कर 30 दिन के अंदर इस्वर का दर्शन कर लीजिये ,में जनता हूँ वह कर नहीं पाएंगे क्यों की बे इस्वर को देखा ही नहीं , में आप को गुरुओं का गुरु होने के लिए मदद करूँगा में आप
को गुरुओं का गुरु होने के लिए मदद करूँगा ,यह सब आप ही करेंगे क्यूँ की आप
परमेस्वर की संतान है ,वो किसिका पखयस्पात नहीं करता है .परमेस्वर कभी भी झुंड के
साथ नहीं मिलता ,बो आप का ब्यक्तिगत संपर्क एबों समर्पण से मिलता है ,जैसे की मेरा
लड्डू खाने से आप को मिटठा का अनुभब नहीं हो सकता ठीक आप का दर्शन का अनुभब एक
बेमिसाल अनुभव होगा .आप का ब्यक्तित्वा पारिवर्तन होगा ,एक अलग तेज़ दिखने लगेगा
.ताभी आप अपने जीवन का मूल्य को भली भाँति समझ पाएँगे ! आज तक कोई गुरु ऐसे ज्ञान
कभी नही दिया ,यह सब लूट ने वाले संत के भेस में स्यतान है ,परमेस्वर आप का संपाति
नहीं चहेता ,जो ब्रह्मांड को बननाया उस से आप क्या दे सकते ? वो घुस लेने वाला
नहीं ? वो सुगांध,नरियल का पेड़,अन्न को बनाने वाला है ,ब्रह्मांड का सब संपाति
परमेस्वर का है,वो देता है किंतु लेता नहीं ! लेने वेल सब हानिकारक आत्मा है !
अनजाने में आप अपने हृदय मे स्थान दे कर पूजा कर रहें है ! यह आप का पीढ़ी से
पीढ़ी तक राज़ कर रहें है ! आप को ईसतराहा गुलाम बना चुके है जिसके चलते आप दूसरा
कुछ सोच नहीं सकते ! चिड़िया सर पे बैठना ग़लत नहीं किंतु घोसला बनाना अछा नहीं
,जो ईस्वर नहीं उसका पूजा करते परंतु परमेस्वर जो सरबो सकतिमान है उसका उपासना
नहीं करते ! यह सब से बड़ा पाप है !ज़रा सोचिए एक देश मे एक राजा या एक राष्ट्रपति
होता है और कोरोड़ों प्रजा होता है किंतु तेंतीस कोरोडो देवी देबता को राजा बनएँगे
तो उनका झगड़ा मे आप फस जाएँगे ! आप परमेस्वर का अनुभव कर सकते है ! बसरते आप मेरा
बातों को ध्यान दे ! बिसवास करें ! तर्क ना करें ! संदेह ना करें !
संपर्क 919993906875
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